संज्ञा • the Communist Party | |
वामपन्थी: left-winger left-wing | |
दल: platoon team section regiment posse plague panel | |
वामपन्थी दल अंग्रेज़ी में
[ vamapanthi dal ]
वामपन्थी दल उदाहरण वाक्य
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- इन दोनों विधानसभा चुनावों में भी वामपन्थी दल एक होकर कुछ नहीं कर पाये।
- दल में कौकस बन जाते हैं, सम्विधानेतर शक्ति केन्द्र विकसित हो जाते हैं (यह परिघटना सिर्फ़ कांग्रेस तक सीमित नहीं है, वामपन्थी दल भी इस संक्रमण से अछूते नहीं रह पाये हैं).
- चुनावबाज़ वामपन्थी दल भी इन्हीं लुटेरों के निज़ाम की हिफ़ाज़त में तैनात हैं और इन्हें फिलहाल आम मेहनतकश आबादी को चुनावी राजनीति के दायरे में क़ैद रखने तथा सिर्फ़ दुअन्नी-चवन्नी के लिए लड़ने की भूल-भुलैया में फँसाये रखने के लिए तैनात किया गया है।
- इस प्रकार वामपन्थी दल केरल, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में भाकपा, माकपा, आरएसपी, फारवर्ड ब्लॉक आदि संयुक्त रूप से मिलकर चुनाव में शिरकत करते हैं जिसके कारण इन राज्यों में वामपन्थी दलों की सरकारें भी बनती हैं किन्तु अन्य राज्यों में इनका यत्र-तत्र ही प्रतिनिधितित्व होता रहा है।
- कारण यह कि जनवादी होने का दावा तो सभी वामपन्थी दल करते हैं, फिर चाहे भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी हो या भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) न्यू डेमोक्रेसी, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (माओवादी) या और भी कोई कम्यूनिस्ट धड़ा.
- नौवें दशक के उत्तरार्ध में होने वाले विधानसभा चुनावों में वामपन्थी दल मिलकर और समझौते के आधार पर चुनाव लड़ने का काम करते रहे और इसके कारण 2007 तक विधानसभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का प्रतिनिधित्व रहा किन्तु 2007 व 2012 के सामान्य विधानसभा चुनाव में इन दलों का अस्तित्व विधानसभा में समाप्त हो गया।
- गिरीश देश के मौजूदा राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक हालात ऐसे हो गये हैं कि आज के सभी वामपन्थी दल राष्ट्रीय क्षितिज पर एकजुट होकर देश के राजनीतिक विकल्प के रूप मे अपने को प्रदर्शित करें तो इसमे कोई शक नहीं कि उनकी अतीत की खोई हुयी ताकत का एहसास भी फिर से हो [...] तीसरा मोर्चा की पालकी ढोने पर आमादा क्यों हैं वामदल
- देश के मौजूदा राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक हालात ऐसे हो गये हैं कि आज के सभी वामपन्थी दल राष्ट्रीय क्षितिज पर एकजुट होकर देश के राजनीतिक विकल्प के रूप मे अपने को प्रदर्शित करें तो इसमे कोई शक नहीं कि उनकी अतीत की खोई हुयी ताकत का एहसास भी फिर से हो जायेगा और उन्हें अपना वजूद भी नये परिवेश मे बनाये रखने का मार्ग अवश्य ही मिल जायेगा।
- (लिबरेशन) जैसे संसदीय वामपन्थी दल और उनसे सम्बध्द ट्रेड यूनियनें तो हैं ही, लेकिन क्रान्तिकारी वाम धारा के जो संगठन जनदिशा को अमल में लाने का दावा करते हैं और देश के मुख्तलिफ इलाकों में ट्रेड यूनियनें चलाते हैं, उनके आचरण में भी बस इतना ही फर्क है कि सीटू, एटक आदि के अर्थवाद के बरक्स वे मुकाबलतन ज्यादा जुझारू चेहरे वाले अर्थवाद की और ट्रेड यूनियनवाद के बरक्स जुझारू ट्रेड यूनियनवाद की बानगी पेश करते हैं।
- आज ये वामपन्थी दल साम्प्रदायिकता के विरोध में सपा का साथ देने तथा आज़ादी की लड़ाई से लेकर आज़ादी के बाद तक काँग्रेस के साथ मदद करने वाले का सहारा देने वाला कोई नहीं है और इन दोनों ही दलों को आज़ादी के आन्दोलन के समय जिस प्रकार किसानों, मजदूरों, दलितों व शोषितों व समाज के अन्य सभी तबके के लोगों को संगठित करने की नीति को किया और जिसके आधार पर अपनी वर्चस्वता हासिल की थी, उसी स्थिति और उसी रणनीति को आज भी अपनाने की आवश्यकता प्रतीत होती है।